लौट चले कीचड़ मिट्टी की ओर महंगे जूतों को अलविदा कर आए लौट चले कीचड़ मिट्टी की ओर महंगे जूतों को अलविदा कर आए
रहूं निर्मोही ये बस में नहीं रहूं निर्गुण ये कर न पाता रहूं निर्मोही ये बस में नहीं रहूं निर्गुण ये कर न पाता
टूटी जब संस्कारों की माला मानस मोती सब बिखर गए टूटी जब संस्कारों की माला मानस मोती सब बिखर गए
राज गद्दी के लोभ ने फिर से जनता के बीच में लाया है। राज गद्दी के लोभ ने फिर से जनता के बीच में लाया है।
डर के लहरों से भला, तू साहिल पे है क्यों खड़ा? डर के लहरों से भला, तू साहिल पे है क्यों खड़ा?
इस धुंधली सी आंधी को दूर से ही नमस्कार कर दो। इस धुंधली सी आंधी को दूर से ही नमस्कार कर दो।